नन्दा देवी मंदिर, अल्मोड़ा: शक्ति, संस्कृति और श्रद्धा का पवित्र स्थल
नंदा देवी मेला अल्मोड़ा
अल्मोड़ा का नंदादेवी मेले का अपना खासा महत्व है। कहा जाता है कि इस मेले का आयोजन राजा बाज बहादुर चंद को युद्ध में विजय प्राप्त होने के बाद से किया जाता है। अल्मोड़ा नगर के मध्य में स्थित ऐतिहासिकता नंदादेवी मंदिर में प्रतिवर्ष भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगने वाले मेले की रौनक ही कुछ अलग है । मेले के अन्तिम दिन परम्परागत पूजन के बाद, नवमी के दिन माँ नंदा और सुनंदा को डोलो में बिठाकर अल्मोड़ा और आसपास के क्षेत्रो में शोभायात्रा के रूप में निकाली जाती है | नंदा देवी को नव दुर्गा के रूप में से एक बताया गया है | अल्मोड़ा में मां नंदा की पूजा-अर्चना तारा शक्ति के रूप में तांत्रिक विधि से करने की परंपरा है। मां नंदा के दर्शन मात्र से ही मनुष्य ऐश्वर्य को प्राप्त करता है तथा सुख-शांति का अनुभव करता है | “JAI MAA NANDA DEVI“

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
नन्दा देवी मंदिर का निर्माण 17वीं सदी में चंद राजाओं के शासनकाल में हुआ था। यह मंदिर उस समय के सामाजिक और सांस्कृतिक वैभव का सजीव प्रमाण है। चंद वंश के शासकों ने नन्दा देवी को कुमाऊँ क्षेत्र की कुलदेवी के रूप में स्वीकारा और उनके मंदिरों का निर्माण करवाया।
मंदिर की वास्तुकला
नन्दा देवी मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक कुमाऊँ शैली में बनी है, जिसमें लकड़ी की बारीक नक्काशी, शिल्प कला और प्राचीन मंदिरों की विशेषता दिखाई देती है। मंदिर परिसर शांत, पवित्र और मन को शांति देने वाला होता है। यहाँ पत्थरों की दीवारों पर देवी की जीवन-लीलाओं से जुड़ी अनेक मूर्तियाँ और शिलालेख हैं।
धार्मिक महत्व
देवी नन्दा को सुख-समृद्धि, संरक्षण और ऊर्जा की देवी माना जाता है। स्थानीय लोगों के जीवन में नन्दा देवी का विशेष स्थान है। हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं और मां से परिवार की सुख-शांति, खेती की उन्नति और जीवन की बाधाओं से मुक्ति की कामना करते हैं।
नन्दा देवी महोत्सव
नन्दा देवी मंदिर में हर वर्ष सितंबर महीने में “नन्दा देवी महोत्सव” बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह महोत्सव अल्मोड़ा की पहचान बन चुका है।
महोत्सव की विशेषताएँ:
-
रंग-बिरंगे लोक नृत्य और संस्कृतिक कार्यक्रम
-
भव्य शोभायात्रा, जिसमें देवी की डोली नगर भ्रमण करती है
-
कुमाऊँ की पारंपरिक पोशाकों में महिलाएं और पुरुष
-
हाथ से बने लकड़ी के मुखौटे, झांकियाँ और ढोल-नगाड़ों की गूंज
-
हजारों की भीड़, जिनमें स्थानीय निवासी और पर्यटक शामिल होते हैं
यह महोत्सव लोक आस्था और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
कैसे पहुँचें?
-
निकटतम रेलवे स्टेशन: काठगोदाम (लगभग 90 किमी दूर)
-
निकटतम हवाई अड्डा: पंतनगर एयरपोर्ट
-
सड़क मार्ग: अल्मोड़ा शहर उत्तराखंड के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
पर्यटन और दर्शन
नन्दा देवी मंदिर के पास अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं:
-
ब्राइट एंड कॉर्नर – सूर्यास्त देखने के लिए प्रसिद्ध
-
साइमन हिल्स व्यू पॉइंट
-
गोविंद बल्लभ पंत संग्रहालय
-
लाला बाजार – पारंपरिक हस्तशिल्प की खरीदारी के लिए आदर्श स्थान
निष्कर्ष
नन्दा देवी मंदिर, अल्मोड़ा केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान है। यह मंदिर श्रद्धा, परंपरा और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। यहां आकर न केवल आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति से जुड़ाव भी महसूस होता है।
Read Also : चिपको आन्दोलन उत्तराखण्ड