उत्तराखंड में गंगा दशहरा महोत्सव
आप सभी को पावन गंगा दशहरे की बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनायें!
उत्तराखंड, जो अपनी पहाड़ियों, नदियों और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है, यहाँ गंगा नदी का विशेष महत्व है। हर साल यहाँ गंगा दशहरा महोत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व गंगा माँ की पूजा और उनके प्रति आस्था का प्रतीक है। गंगा दशहरा का अर्थ है “गंगा का दसवाँ दिन”। इसे ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। उत्तराखंड में इस पर्व को विशेष रूप से मनाने की परंपरा है, जिसमें पूजा-अर्चना, हवन, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
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गंगा दशहरा का धार्मिक और पौराणिक महत्व
गंगा दशहरा हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। मान्यता है कि इसी दिन गंगा नदी पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। गंगा माँ का नाम केवल एक नदी नहीं, बल्कि पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने गंगा को अपने जटाओं में धारण किया था तब उनका अवतरण हुआ। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उत्तराखंड में गंगा दशहरा के दौरान गंगा नदी के किनारे विशाल मेले लगते हैं, जहां भक्तजन गंगा माँ की आराधना करते हैं और विधिवत स्नान कर पुण्य प्राप्त करते हैं। कई लोग इस अवसर पर विशेष व्रत रखते हैं और तिलक, अक्षत, फूल और नारियल चढ़ाते हैं।
उत्तराखंड में गंगा दशहरा महोत्सव की विशेषताएँ
उत्तराखंड का गंगा दशहरा महोत्सव भव्यता और श्रद्धा का अनूठा संगम होता है। यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थल जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग आदि स्थानों पर यह पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है। हरिद्वार में गंगा दशहरा पर ‘आर्ष वाद्य यज्ञ’, ‘पूजा-पूजन’, और ‘दीप प्रज्ज्वलन’ का आयोजन होता है, जो श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है।
महोत्सव में स्थानीय कलाकारों के सांस्कृतिक प्रदर्शन, भक्तिमय भजन-कीर्तन, लोक नृत्य और नाटकों का आयोजन भी होता है, जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इसके अलावा, इस अवसर पर प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण जागरूकता से जुड़ी गतिविधियाँ भी आयोजित की जाती हैं ताकि गंगा नदी की पवित्रता बनी रहे।
गंगा दशहरा महोत्सव का आयोजन
उत्तराखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन मिलकर गंगा दशहरा के अवसर पर बड़े पैमाने पर तैयारियाँ करते हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे प्रमुख स्थलों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। स्नान घाटों की साफ-सफाई, सुरक्षा के कड़े इंतजाम, पार्किंग और ट्रैफिक नियंत्रण का विशेष ध्यान रखा जाता है।
इस दौरान श्रद्धालुओं के लिए गंगा स्नान के लिए टाइम स्लॉट निर्धारित किए जाते हैं ताकि भीड़ नियंत्रण में रहे। साथ ही, मंदिरों और पूजा स्थलों पर भंडारे और प्रसाद वितरण भी किया जाता है। स्थानीय व्यापारियों के लिए यह त्योहार आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस समय बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
गंगा दशहरा महोत्सव का पर्यावरणीय पहलू
गंगा नदी की पवित्रता बनाए रखना उत्तराखंड के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। गंगा दशहरा के दौरान नदी में स्नान करने वाले लाखों लोगों के कारण प्रदूषण बढ़ने का खतरा रहता है। इसीलिए उत्तराखंड सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं।
महोत्सव में प्लास्टिक उपयोग पर प्रतिबंध, नदी के किनारे साफ-सफाई अभियान, कूड़ा-करकट प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। स्थानीय युवा संगठन और पर्यावरण कार्यकर्ता भी मिलकर नदी की स्वच्छता और संरक्षण के लिए काम करते हैं। ये प्रयास गंगा दशहरा महोत्सव को केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय जागरूकता का भी मंच बनाते हैं।
गंगा दशहरा महोत्सव में भाग लेने के टिप्स
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समय पर पहुँचना: भीड़ को देखते हुए सुबह जल्दी पहुँचने की सलाह दी जाती है।
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सफाई का ध्यान रखें: प्लास्टिक का उपयोग न करें और कूड़ा-करकट सही जगह डालें।
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स्थानीय नियमों का पालन: प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।
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स्वास्थ्य का ध्यान रखें: स्नान के दौरान सावधानी बरतें और आवश्यक वस्तुएं साथ रखें।
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स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें: महोत्सव के दौरान स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करना जरूरी है।
उत्तराखंड में गंगा दशहरा महोत्सव का भविष्य
गंगा दशहरा महोत्सव उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। आने वाले वर्षों में इसे और भी आधुनिक और पर्यावरण-हितैषी बनाने की योजनाएं चल रही हैं। डिजिटल माध्यम से महोत्सव की लाइव कवरेज, ऑनलाइन पूजा व्यवस्था, और पर्यावरण संरक्षण के लिए नयी पहलें इसे और प्रभावशाली बनाएंगी।
सरकार और समाज मिलकर गंगा माँ की पवित्रता और इस पर्व की महत्ता को बनाए रखने का संकल्प ले रहे हैं। इससे न केवल धार्मिक आस्था को बल मिलेगा, बल्कि उत्तराखंड का पर्यटन और सांस्कृतिक विकास भी होगा।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में गंगा दशहरा महोत्सव न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण संरक्षण, और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें गंगा माँ के प्रति श्रद्धा और सम्मान के साथ-साथ हमारी जिम्मेदारी भी याद दिलाता है कि हम प्रकृति की इस अमूल्य धरोहर को स्वच्छ और सुरक्षित रखें। गंगा दशहरा महोत्सव में हिस्सा लेकर हम अपनी आस्था को मजबूत कर सकते हैं और इस पावन नदी की रक्षा में अपना योगदान दे सकते हैं।
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